एक साल में ट्रेनों में चार गुना बढ़ी मादक पदार्थों की तस्करी
मुख्य तस्कर तक नहीं पहुंच पाती है पुलिस
जीआरपी ने पूरे साल में 44 मामले पकड़े और एक भी मामले में पुलिस मुख्य तस्कर तक नहीं पहुंच सकी। पुलिस केवल सप्लायर तक ही पहुंच सकी। सीआई संजय शर्मा का कहना है कि सप्लायर के के संपर्क में कई बीच की कड़ी रहती है। वे उनके बारे में ठीक से नहीं जानते, इसलिए मुख्य तस्कर तक पहुंचाना बहुत कठिन हो जाता है। यह पकड़े गए मुख्य मामले ञ्च 9 अक्टूबर को ट्रेन से बोरी में भरा 15 किलो डोडाचूरा मिला और एटा निवासी विजय ठाकुर को गिरफ्तार किया। ञ्च 18 अक्टूबर को राजेश मिश्रा के पास से पुलिस को 200 ग्राम स्मैक मिली। ञ्च 11 नवंबर को मंदसौर निवासी सराफत खां से 500 ग्राम स्मैक मिली। ञ्च 12 नवंबर को गरोठ निवासी मेहराज बाई से 2 किलो अफीम पकड़ी। ञ्च 17 नवंबर को ट्रेन में लावारिस बैग में 1 किलो अफीम मिली। ञ्च 20 नवंबर को मंदसौर निवासी प्रकाश से 100 ग्राम स्मैक पकड़ी। ञ्च 24 नवंबर को नाहरगढ़ निवासी महेश कुमार से 1 किलो स्मैक पकड़ी। ञ्च 11 दिसंबर को रवि कुमार के पास से 130 ग्राम स्मैक पकड़ी गई। ञ्च 27 दिसंबर को एक बोरी में 50 किलो डोडा चूरा मिला। |
भास्कर न्यूजत्नकोटा
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मादक पदार्थ की तस्करी रेल मार्ग से तेज हो गई है। पिछले साल की अपेक्षा मामले भी चार गुना हो गए हैं। इधर, तीन महीनों में इस तरह के काफी मामले सामने आए हैं। जीआरपी ने पकड़े गए लोगों से उनके पास से भारी मात्रा में स्मैक और अफीम पकड़ी है। जीआरपी ने पिछले साल 2012 में केवल 11 मामले एनडीपीएस एक्ट में दर्ज किए थे। इस बार पुलिस ने पिछले 3 माह में 13 मामले पकड़ लिए। पूरे साल में करीब 44 मामले पकड़े हैं। पुलिस का मानना है कि तस्कर ट्रेन से मादक पदार्थ इसलिए लाते हैं कि पुलिस आसानी से उन तक नहीं पहुंच सकती है। वे अधिकतर लोकल डिब्बों में सफर करते हैं। इन डिब्बों में भीड़भाड़ होती है और पुलिस के जवान उनमें ठीक प्रकार से चेक नहीं कर पाते। इसका फायदा उठाकर वे आसानी से माल इधर का उधर कर देते हैं। तस्कर हर बार नया तरीका अपनाते हैं। कभी मिठाई के पैकेट, कभी आचार की डिब्बे में रखकर ले जाते हैं तो कभी पेट के बांधकर तो भी नी केप के बीच छिपाकर ले जाते हैं। ट्रेनों से तस्करी ज्यादा होने पर पुलिस भी निगरानी बढ़ा दी है। तस्कर मादक पदार्थ ले जाने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं। पकड़े गए मामलों में केवल कैरियर ही पकड़ में आए हैं। सड़क मार्ग पर पुलिस की नाकाबंदी और कई तरह की परेशानी होने से तस्करों ने ट्रेनों से आना-जाना ज्यादा कर दिया है। ट्रेन में लावारिस छोड़ देते हैं मादक पदार्थ जीआरपी ने पिछले तीन माह में पकड़े गए मामलों में ऐसे भी मामले सामने आए, जिनमें मादक पदार्थ को लावारिस हालत में छोड़ा गया था। माल पकड़े जाने के बाद कोई सामने नहीं आया। उसके बारे में पुलिस को जानकारी मिल सकी। अपराधत्न 2012 में 11 तो 2013 में जीआरपी ने पकड़े 44 मामले, पिछले ३ माह में १३ मामले पकड़़े |
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